हनुमान चालीसा और आरती

 

हनुमान चालीसा और आरती: भक्तों का प्रिय 

हनुमान चालीसा और आरती, भगवान हनुमान की भक्ति में डूबे भक्तों के ह्रदयों में सदैव विराजमान रहते हैं। इन पवित्र रचनाओं का पाठ, भक्तों को असीम आनंद और ऊर्जा प्रदान करता है।

हनुमान चालीसा, तुलसीदास जी द्वारा रचित एक अद्भुत कृति है, जो हनुमान जी के पराक्रम और भक्तिभाव का सजीव चित्रण करती है। चालीस चौपाइयों में विभाजित यह रचना, हनुमान जी के जन्म, उनकी बाल लीलाओं, रावण से युद्ध, सीता जी की खोज, लक्ष्मण जी को संजीवनी लाना, और भगवान राम के प्रति अटूट भक्ति का वर्णन करती है।

वहीं, हनुमान आरती, भगवान हनुमान की आरती उतारने का एक विधान है। आरती में दीप, कपूर, फूल, और नैवेद्य अर्पित कर भगवान हनुमान की पूजा की जाती है। आरती के मंत्र भक्तों को हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने और मनोकामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं।

हनुमान चालीसा और आरती का पाठ करने का महत्व:

  • भक्ति और आत्मसंतुष्टि: हनुमान चालीसा और आरती का पाठ करने से भक्तों में हनुमान जी के प्रति भक्तिभाव और आत्मसंतुष्टि बढ़ती है।
  • मनोकामनाओं की पूर्ति: हनुमान जी को कष्टहरण और मनोकामनाओं का दाता माना जाता है। उनकी भक्ति करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • कष्टों का निवारण: हनुमान जी की कृपा से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  • नकारात्मक शक्तियों से रक्षा: हनुमान जी को बुरी आत्माओं और नकारात्मक शक्तियों से रक्षक माना जाता है। उनकी भक्ति करने से भक्त इन शक्तियों से सुरक्षित रहते हैं।

हनुमान चालीसा और आरती का पाठ कैसे करें:

  • स्वच्छता और पवित्रता: हनुमान चालीसा और आरती का पाठ करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान: पूजा स्थान को स्वच्छ और शुद्ध रखें।
  • दीप प्रज्वलित करें: एक घी का दीपक जलाएं और भगवान हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र के सामने रखें।
  • पुष्प और धूप: भगवान हनुमान जी को पुष्प और धूप अर्पित करें।
  • ध्यान और एकाग्रता: हनुमान चालीसा और आरती का पाठ करते समय मन को शांत रखें और पूर्ण एकाग्रता के साथ पाठ करें।
  • विश्वास और भक्ति: हनुमान जी के प्रति पूर्ण विश्वास और भक्ति रखें।

हनुमान चालीसा और आरती का पाठ:

आप अपनी सुविधानुसार हनुमान चालीसा और आरती का पाठ कर सकते हैं।

  • हनुमान चालीसा: आप हनुमान चालीसा की पुस्तक या ऑनलाइन स्रोतों से पाठ कर सकते हैं।
  • हनुमान आरती: आप हनुमान आरती की ऑडियो या वीडियो रिकॉर्डिंग सुनकर या आरती की पुस्तक से पाठ कर सकते हैं।

॥ दोहा ॥

श्री गुरु चरन सरोज रज,
निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊँ रघुबर बिमल जसु,
जो दायकु फल चारि॥

बुद्धिहीन तनु जानिके,
सुमिरौं पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं,
हरहु कलेश विकार॥

॥ चौपाई ॥

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥

रामदूत अतुलित बलधामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥

महावीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥

कंचन बरन विराज सुवेसा।
कानन कुण्डल कुंचित केसा॥

हाथ ब्रज औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै॥

शंकर सुवन केसरी नन्दन।
तेज प्रताप महाजग वन्दन॥

विद्यावान गुणी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा॥

भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचन्द्र के काज संवारे॥

लाय संजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥

रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो यश गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥

यम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना।
लकेंश्वर भए सब जग जाना॥

जुग सहस्त्र योजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गए अचरज नाहीं॥

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक ते कांपै॥

भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महावीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥

संकट ते हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥

साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।
अस वर दीन जानकी माता॥

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावैं।
जनम जनम के दुःख बिसरावै॥

अन्त काल रघुवर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाई॥

जो शत बार पाठ कर कोई।
छूटहिं बंदि महासुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥

॥ दोहा ॥

पवनतनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुर भूप॥

Hanuman Chalisa Ki Aarti | हनुमान चालीसा की आरती

आरती कीजै हनुमान लला की,
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

जाके बल से गिरिवर कांपै,
रोग दोष जाके निकट न झांकै।

अंजनि पुत्र महा बलदाई,
संतन के प्रभु सदा सहाई।

दे बीरा रघुनाथ पठाये,
लंका जारि सिया सुधि लाई।

लंका सो कोट समुद्र सी खाई,
जात पवनसुत बार न लाई।

लंका जारि असुर संहारे,
सीता रामजी के काज संवारे।

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे,
आनि संजीवन प्राण उबारे।

पैठि पाताल तोरि जम कारे,
अहिरावन की भुजा उखारे।

बायें भुजा असुर दल मारे,
दाहिने भुजा संत जन तारे।

सुर नरमुनिजन आरती उतारें,
जय जय जय हनुमान उचारें।

कंचन थार कपूर की बाती,
आरति करत अंजना माई।

जो हनुमानजी की आरती गावै,
बसि बैकुण्ठ अमर फल पावै।

लंका विध्वंस किये रघुराई,
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई।

आरती कीजै हनुमान लला की,
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

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