"हिज़्बुल्लाह की योजना थी 'limited war', पर Israel के खुलकर आने से कहाँ चूक गए नसरल्लाह?"

हिज़्बुल्लाह और Israel के बीच तनाव का स्तर इस बार कुछ अलग है। हिज़्बुल्लाह ने शुरू में सोचा था कि वह एक सीमित युद्ध ("limited war") की स्थिति बनाए रखेगा। नसरल्लाह और उनकी सेना ने इसे अपने फायदे में देखने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही Israel ने पूरे बल के साथ जवाब दिया, खेल बदल गया।


हिज़्बुल्लाह की योजना थी कि कुछ हमलों से Israel को काबू में रखा जा सकता है। नसरल्लाह ने सोचा था कि वह अपनी पारंपरिक गुरिल्ला रणनीतियों से Israel की सेना को थका देगा, लेकिन Israel ने इसे एक व्यापक युद्ध की तरह लिया और सीधे मैदान में उतर आया। ये वह पल था जब नसरल्लाह की योजना असफल होने लगी।

Israel की रणनीति हमेशा से ही सीधी रही है। वो अपने दुश्मनों को अधूरा मौका नहीं देते। इस बार भी, Israel ने वही किया। नसरल्लाह ने यह गलत आकलन किया कि Israel केवल सीमित जवाब देगा। पर Israel ने पूरी ताकत से जवाबी हमला किया, जिसने हिज़्बुल्लाह की पूरी योजना को तहस-नहस कर दिया।

इसके साथ ही, नसरल्लाह ने एक और बड़ी गलती की। उन्होंने यह सोच लिया था कि Israel की जनता और राजनीतिक दबाव के चलते सरकार कमजोर पड़ेगी। लेकिन उल्टा हुआ। Israel की जनता और सरकार इस समय एकजुट होकर न केवल हिज़्बुल्लाह को, बल्कि उनके सहयोगियों को भी करारा जवाब देने के लिए तैयार हैं।

अब सवाल उठता है कि नसरल्लाह कहाँ गए? वो रणनीतिक चूक कहाँ हुई? नसरल्लाह का सार्वजनिक रूप से सामने न आना, इस पूरे युद्ध के दौरान उनका चुप रहना, सवालों को जन्म देता है। क्या वो खुद अपने फैसलों पर विचार कर रहे हैं? या फिर उन्हें इस बात का एहसास हो गया है कि इस बार Israel से उलझने की कीमत बहुत भारी पड़ने वाली है?

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी हिज़्बुल्लाह की रणनीति सवालों के घेरे में है। उनके कई समर्थक अब यह सोच रहे हैं कि क्या नसरल्लाह ने Israel को सही से समझा था? या फिर यह उनकी सबसे बड़ी चूक बन गई है?

अभी तक हिज़्बुल्लाह की नीति 'limited war' की थी। लेकिन इस बार Israel ने पूरी तरह से इस युद्ध को एक बड़े संघर्ष में बदल दिया है। और यही वह जगह है, जहाँ नसरल्लाह चूक गए। अब हिज़्बुल्लाह को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने की ज़रूरत है, क्योंकि Israel अब रुकने वाला नहीं है।

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