रेल नेटवर्क के क्षय की ओर इशारा करती मुंबई की भीषण भगदड़, संदीप दीक्षित की टिप्पणी से उठा रेल व्यवस्था की खस्ता हालत का मुद्दा

 


मुंबई में हाल ही में हुई एक दर्दनाक भगदड़ की घटना ने देश की रेलवे व्यवस्था के बुनियादी ढांचे की बदहाली को उजागर कर दिया है। सैकड़ों लोगों की भीड़ में दबने और घायल होने की ख़बरों ने आम जनता और विशेषज्ञों को रेलवे के हालात पर चिंतित कर दिया है। यह घटना केवल दुर्घटना नहीं, बल्कि भारतीय रेलवे के दशकों पुराने अव्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही की एक और नजीर मानी जा रही है। इस मुद्दे पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता संदीप दीक्षित ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने रेलवे की व्यवस्थागत खामियों की ओर संकेत करते हुए इसे ‘पुराने ढर्रे’ का परिणाम बताया।

रेलवे में सुधार की बजाय आधुनिकीकरण के नाम पर लापरवाही का बोलबाला

संदीप दीक्षित का कहना है कि रेलवे में जहां सुधारों की सख्त जरूरत है, वहां पुरानी और असमर्थ नीतियों के कारण अब दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि रेलवे के आधुनिकीकरण के नाम पर बड़े-बड़े वादे तो किए गए, लेकिन जमीनी स्तर पर आम यात्रियों के लिए सुरक्षा और सुविधाओं में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। दीक्षित ने इसे केवल सरकार का ‘प्रचार’ और ‘बाजारवाद’ करार देते हुए कहा कि रेलवे की असल समस्याओं को अनदेखा किया जा रहा है।

यात्री सुरक्षा से लेकर सुविधाओं तक की कमी, क्या वाकई रेलवे के ‘विकास’ का दावा सही है?

मुंबई जैसी महानगरी में, जहां लाखों लोग रोजाना लोकल ट्रेनों पर निर्भर रहते हैं, वहां रेलवे की बुनियादी सुविधाओं की स्थिति यह दर्शाती है कि यात्रियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य प्राथमिकता में नहीं हैं। देश में रेलवे की खराब स्थितियों का मुद्दा नए नहीं हैं, लेकिन संदीप दीक्षित ने इसे ऐसे समय में उठाया है जब देश में रेलवे के ‘विकास’ का व्यापक प्रचार हो रहा है। यह पूछना आवश्यक हो जाता है कि क्या सरकार का विकास का दावा केवल ‘प्रचार’ है, या इसमें कुछ वास्तविकता भी है?

विकास का दावा और असलियत में कितना फासला?

संदीप दीक्षित का कहना है कि रेलवे में जिन सुधारों की बात होती है, वे असल में एक दिखावे के अलावा कुछ नहीं। यात्री सुविधाओं के स्तर पर, विशेष रूप से भीड़भाड़ वाले रेलवे स्टेशनों और प्लेटफॉर्मों पर यातायात नियंत्रण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि रेलवे में संरचनात्मक सुधार की दिशा में गंभीरता से काम नहीं हो रहा।

रेलवे सुधार के लिए क्या है भविष्य की राह?

इस दुखद घटना के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि सरकार रेलवे सुधारों पर ध्यान देगी और जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता देगी। ऐसे सुधार किए जाएं जो केवल दिखावे तक सीमित न हों, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा और सुविधाओं में वास्तविक बदलाव लाएं। रेलवे का सुदृढ़ और सुरक्षित भविष्य ही इस समस्या का हल हो सकता है, जिससे आम जनता का भरोसा बहाल हो सके।

इस प्रकार की घटनाओं से न केवल मानव जीवन की क्षति होती है, बल्कि यह हमारी सार्वजनिक सेवाओं की स्थिति और सरकार की प्राथमिकताओं को भी सवालों के घेरे में ले आता है।

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